मंगलवार, 13 दिसंबर 2022
नर्क की आदत
शुक्रवार, 25 नवंबर 2022
शिष्य का इंतजार
गुरुवार, 24 नवंबर 2022
खेल
खेल है प्रकृति का, गुण दिए हैं प्रकृति ने। तुम नाहक ही अपने पर ले रहो हो । तुम तो ताश के पत्तों के समान हो, जो हो वो हो खेल में, खेल ही बताता है किस कि कितनी किमत है। इसमें खिलाड़ी का कोई खास योगदान है नहीं।
सत्य ऐसे है जैसे पत्तों का कैस (case)।
खेल खत्म, पत्ते वापस अपने कैस में । सत्य न तो खेल में शामिल है, न ही खेल के खत्म होने में शामिल है। सत्य है तो खेल है। पर सत्य खेल है नहीं। सत्य को जान जानें से खेल के सारे गुण जाने जाते हैं।
प्रकृति और सत्य के बीच एक बोध का पूल है। मनुष्य की बैचेनी उसका इस पूल पर एक छोर से दूसरे दोर भागने का परिणाम है। जब हम प्रकृति का अतिक्रमण करके सत्य की ओर बढ़ते हैं, सत्य के प्रेम में पक्ष कर उसके पास जाते रहते हैं। जितना सत्य के नजदीक हो उतने ही आनंद में हो । आपका लक्ष्य आनंद है, तो सत्य का बोध जरूरी है।
🙏
बुधवार, 23 नवंबर 2022
स्वभाव को देखे
मंगलवार, 22 नवंबर 2022
आपका प्रयास और मुक्ति
मुक्ति की चाह ही मनुष्य की सबसे बड़ी चाह है। और मुक्ति की राह सबके लिए अलग है। सबकी परिस्थिती अलग - अलग होती है। सबके अलग - अलग बंधन हैं।
सबका अंतमन 'सत्य' को जानता है और नहीं भी। क्योंकि जहाँ भी बात सत्य की चल रही हो आपका मन वहाँ राजी हो जाता है। सत्य मन से परे है पर उसका अहसास मन को होता है।
यही हमारी सबसे विकट समस्या है - कि कुछ है तो सही पर मन उसको पा नहीं सकता।
करें अब क्या ? चाहत तो है 'सत्य' की पर मिलता वो दिखाई नहीं देता। अब या तो हम सत्य है ही नहीं मान लें और जैसे जी रहे हैं, वैसे ही जीते मान रहें। जैसे जी रहें हैं वैसे तो हम जीना चाहते नहीं।
तो फिर 'सत्य' के लिए प्रयास करते रहे।
सत्य के लिए प्रयास कैसे करें, जब बो से मन बाहर की बात है? ‘असत्य’ से दूर रह कर ही सत्य के समीप रह सकते हैं। असत्य हम से दूरी, असत्य को हराने की कोशिश ही जीवन में आनंद का संचार करती है।
असत्य क्या है? ये ही जानना आपका ध्येय है। मन को मुक्ति चाहिए, आनंद चाहिए, क्योंकि मुक्ति और आनंद आपका स्वभाव है। जो भी गुण, विचार, व्यक्ति आपको मुक्ति से दूर करें वो है असत्य, उसको हटाने पर आपको मुक्ति की समीपता का पता चलता है।
अपने लिए ईमानदार बने, अपने हर काम को जाँच लें - अपने बंधनों को जान लें, तभी आप बंधनों को काट सकते हैं। इसके लिए आपको किसी गुरु की आवश्यकता नहीं है। परंतु एक गुरु के सानिध्य में बधनों का पता जल्दी लग सकता है, जल्दी मुक्ति की संभावना होती है।
सोमवार, 21 नवंबर 2022
सत्य की ओर
राम घर मिल जाएँ तो अच्छा है।
राम घर न मिलें तो अच्छा है।
तलाश राम की जारी रखें तो अच्छा है।
गुरु घर मिल जाएँ तो अच्छा है।
गुरु घर न मिलें तो अच्छा है।
तलाश गुरु की जारी रखें तो अच्छा है।
आत्म-गुरु की जागृती हो तो अच्छा है।
तलाश सत्य की जारी रखें तो अच्छा है।
पल-पल लूट रहे हो दुनिया में ये क्या अच्छा है?
सहारा ढूंढ रहे हो बूतों में ये क्या अच्छा है?
घुल जाओ राम की तलाश में बस यही अच्छा है।।
जिसमें राम का सार नहीं उसे छोड़ना अच्छा है।।
🙏
रविवार, 20 नवंबर 2022
सत्य ही ध्येय
कितना मुर्ख था मैं जिसे समझा सच
वो दुनिया तो जीवन का धोखा है
डर, अंधेरे, रौशनी को तडपाती है
रौशनी मिलती नहीं
गुरु की तड़प, गुरु मिला नहीं
सत्य की तड़प से गुरु मिला
गुरू तो गुड़ की तरह है
जीवन की कड़वाहट हर लेता है
शहद से जीवन को प्रकट कर देता है।
यहाँ हम मुफ्त में ठगे जा रहे हैं
जो डरा नही सकते उनसे डरे जा रहे हैं।
जब तक मिलता नहीं सुकुन तड़प जारी है
= जब मिल जाए तो फिर बाँट की बारी है।
🙏
नर्क की आदत
वृत्ति को और छोटा करते हैं - आदत से शुरू करते हैं। व्यक्ति अधिकांशत अपनी आदत का गुलाम होता है अपनी कल्पना में हम खुद को आज़ाद कहते हैं, पर क...
-
वृत्ति को और छोटा करते हैं - आदत से शुरू करते हैं। व्यक्ति अधिकांशत अपनी आदत का गुलाम होता है अपनी कल्पना में हम खुद को आज़ाद कहते हैं, पर क...
-
कितना मुर्ख था मैं जिसे समझा सच वो दुनिया तो जीवन का धोखा है डर, अंधेरे, रौशनी को तडपाती है रौशनी मिलती नहीं गुरु की तड़प, गुरु मिला नहीं स...
-
राम घर मिल जाएँ तो अच्छा है। राम घर न मिलें तो अच्छा है। तलाश राम की जारी रखें तो अच्छा है। गुरु घर मिल जाएँ तो अच्छा है। गुरु घर न मिले...