दुख आपके बंधन का पता बता देता है।
आपके जीवन का सच सामने ला देता है। दुख बहुत काम कि चीज है, आज | हम आज एक ऐसे समाज में रहते हैं, जिसका दुख और सुख का पैमाना तुलनात्मक है, चीजों पर आधारित है। इसका हम सबके ऊपर बहुत प्रभाव है। ये ही समाज नए मानव मन को नियंत्रित करता है | अगर आप ईमानदारी से देखेंगे तो आपको पता चलता है कि आपके अपने विचार, इच्छाएँ, कर्म कितने आपके हैं?
आपका दुख बहुत बार केवल एक छोटी सी बात से भी खत्म हो सकता है। आप अपने को समाज से थोड़ा अलग कर के देख लो। आपको पता चल जाता है कि क्या करने लायक, क्या सोचने लायक है। आपकी बहुत सारी दौड़ व्यर्थ जान पड़ जाएगी, तो फिर सार्थक गंतव्य की ओर चलना शुरू हो जाएगा।
दुख से सुख की ओर नहीं भागना है। दुख और सुख की व्यर्थ दौड़ को देखना है और अपने स्वभाव की ओर बढ़ना है। स्वभाव से जीने में आनंद है। स्वभाव ही मुक्ति है।
कृप्या करें स्वयं पर, अपने लिए सदा ईमानदार रहे। ये ईमानदारी आपको अधिक स्पष्टता और शांती से आपके जीवन को भरता है।
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